गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जुवान बेटी / दीनदयाल शर्मा
1 byte added
,
05:32, 17 नवम्बर 2010
उणां री फब्तियां सुणै
अर फेर भी
बा' कित्ती
सै'
र
ज
रै'वै
पण
आपरै मन री पीड़ा
बा' किणी नै नीं कै'वै ।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,667
edits