गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
नख़्ले-उम्मीद में हैरत के समर आ गए हैं / संजय मिश्रा 'शौक'
108 bytes added
,
03:20, 21 नवम्बर 2010
{
{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संजय
मिश्रा
'
शौक
'
|
संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
नख्ले-उम्मीद में हैरत के समर आ गए हैं
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits