Changes

पतियारो / मदन गोपाल लढ़ा

14 bytes added, 11:28, 1 दिसम्बर 2010
{{KKGlobal}}
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|संग्रह=म्हारी पाँती म्हारै पांती री चितावां चिंतावां / मदन गोपाल लढ़ा
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
 
थारै सूं हर करती बगत
कद सोची ही म्हैं
म्हनैं पतियारो है !
 
</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits