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संस्मृति /बुलाकी दास बावरा
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|रचनाकार= बुलाकी दास बावरा
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poem
Poem
>बस प्रणय की स्मृति ही साथ लेता जा रहा हूँ।
प्रीत की कुछ पंक्तियां कवि, साधना में जान पाया,
शुष्क अधरों पर न जाने कौन मृदु-मुस्कान लाया ?
अनिल जनविजय
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