जनमे जब संकल्प अनुज-सा
सगी बहिन-सी शिकन
थाम ले हाथ
क्या करूँ ?
बैठे जो हाथों के भीतर हाथ
न दें जब साथ
क्या करूँ ?
पंखों की उड़ान बन्दी
कैसी आज़ादी है ?
पोती जैसी देह
रूह दादी-परदादी है
मन भीतर के अस्पताल में
रोगी पड़ा अनाथ
क्या करूँ ?
लोहा जब-जब गर्म हुआ है
पिटा हथौड़े से
फिर कैसे उपदेश तराशूँ
लम्बे-चौड़े से
सड़कों को रोटी-बेटी जब
ख़ुद ही दें फुटपाथ
क्या करूँ ?