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संग्रहालय में सिद्धार्थ / ब्रजेश कृष्ण

किसी ने नहीं देखा था वह बूढ़ा
किसी ने नहीं देखा वह रोगी
सभी ने ढोये शव अपने कंधों पर
पर किसी ने नहीं देखा वह शव
जिसे देखा था तुमने

संग्रहालय में कै़द
मस्तकहीन तुम्हारी प्रतिमा के पीछे
खड़े बच्चे ने टिकाया
अपना सिर तुम्हारे कंधे पर

क्षण भर में जैसे बिजली की कौंध!

सभी ने देखा तुम्हारे देखने को
वही शव!
वही रोगी!!
वही बूढ़ा!!!