Last modified on 8 जून 2016, at 02:40

सकल जहनमा रे जान / रामदेव भावुक

गेतिया भेलै परोसिया, परोसिया भेलै बैमनमा रे जान
रे जान, आपन भैया भेलै दुश्मनमा रे जान

गोतिया मांगै धनमा, परोसिया मांगै घरमुआं रे जान
रे जान, पढ़लका भैया अंगुठा निसनमा रे जान

एक तॅ बैरी भेलै संग के संगतिया रे जान
रे जान, दोसर बैरी बुढ़बा पंडितबा रे जान

मुरुखा-ठगे के पतरा ललका बनैलकै रे जान
रे जान, दिनमा रे गुनि देलकै कुदिनमा रे जान

मैयो मनैलकै लाख, बाबू समझैलकै रे जान
रे जान, लिखबे-पढ़बे, होबे चतुर सियनमा रे जान

धनी के पूजे गांव, कि बली के पूजे देशबा रे जान
रे जान, कि ज्ञानी के पूजै सकल जहनमा रे जान