सद्ज्ञान सबमें डालती।
जय शारदे माँ भारती।
है श्वेत वसना दिव्य माँ,
शोभित सदा ज्यों मालती।
देती जगत को ज्ञान जो,
वह हंस पर है राजती।
संगीतमय परिवेश दे,
जो हस्त वीणा धारती।
जयघोष वह करती सदा,
बस ओम ही उच्चारती।
मन से पुकारे जो कभी,
क्या प्रार्थना माँ टालती?
वरदान पाने के लिए,
बाबा उतारे आरती।