सत्रह जून के
विप्लव के बाद
लेखक संघ के मन्त्री ने
स्तालिनाली शहर में पर्चें बाँटे
कि जनता सरकार का विश्वास खो चुकी है
और तभी
दुबारा पा सकती है
यदि दोगुनी मेहनत करे
ऐसे मौक़े पर
क्या यह आसान नहीं होगा
सरकार के हित में
कि वह जनता को भंग कर
कोई दूसरी चुन ले।
(1953)
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल