कुछ नहीं होता पल
विलीन होते हैं
दिन/मास/वर्ष/और दशक
बीत जातीहैं सदियाँ
समय के अनन्त प्रवाह में
हल्दी की गाँठ भर है सहस्त्राब्दी
गिनना बन्द करें
दो हज़ार वर्ष पहले
सूली पर टाँग आये थे जिसे
चलो, ढूँढें उसे।
कुछ नहीं होता पल
विलीन होते हैं
दिन/मास/वर्ष/और दशक
बीत जातीहैं सदियाँ
समय के अनन्त प्रवाह में
हल्दी की गाँठ भर है सहस्त्राब्दी
गिनना बन्द करें
दो हज़ार वर्ष पहले
सूली पर टाँग आये थे जिसे
चलो, ढूँढें उसे।