स्लेट-रंग सड़कों पर
प्रश्नों की भीड़
कोई गणितज्ञ चाहिए !
संचित सब
स्लेटियाँ घिसीं
उत्तर के नाम
कुछ लकीर
खोपड़ियाँ खदबदा चुकीं
दमख़म में उठ रहा ख़मीर,
चिन्ता है
किन्तु चिन्त्यहीन
कोई चिन्तज्ञ चाहिए !
सारा ही बोर्ड
ब्लैक है
ऊपर से
डस्टर की प्यास
खोजे भी स्यात् ही मिले
बित्ता-भर भीतरी उजास,
लावा है
किंतु भस्मसात्
कोई अगनज्ञ चाहिए !
26 दिसम्बर 1973