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हमनी के अँखिया अंगार / जयराम दरवेशपुरी

चलऽ चलऽ ने सहरिया के पार धनियाँ
जेजा धरती मइया करऽ हइ सिंगार धनियाँ

जेजा लुटाबइ मेहनत के मोतिया
जेकरा से खा हइ जग मीठ रोटिया
ओकरे पर सब तेहवार धनियाँ

दिन दोपहरिया बहावऽ हइ पसेनमा
धरती के अँचरा पर उगबइ नगिनमां
रोपनी के रेघ में मल्हार मोर धनियाँ

हर बैल हीरा मोती संग में किसनमां
सोनमां उगाबइ जरा के बदनमां
हरियरी के सगरे बहार धनियाँ

उपजाबइ धान गहुम खा हइ मकइया
धोखा दे दे सूदखोर लूटऽ हइ कमइया
ओकरे लागऽ हइ दरबार धनियाँ

ओकरे कमइया पर देशवा के राजा
चाभइ रसगुलवा अउ मसमस खाजा
हमनी पर अँखिया अंगार धनियाँ।