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हमने तुमको कैसा जाना तुमने हमको ऐसा माना / प्रेमघन

हमने तुमको कैसा जाना, तुमने हमको ऐसा माना॥टेक॥
सैरों को गैरों संग जाना, पास मेरे हरगिज़ नहिं आना,
देख दूर ही से कतराना, ए तोतेचश्मी जतलाना॥
जहरीले नख़रें बतलाना, सौ-सौ फिकरे लाख बहाना
दमवाज़ी ही में टरकाना, गरज़ हमै हर तरह सताना॥
रोज़ नई सज धज दिखलाना, चपल चखन चित चितै चुराना,
भौंह कमान तान सतराना, लचक निज़ाकत से बल खाना॥
श्रीबदरी नारायन मत जाना, सीखा दिल का खूब जलाना।
पास मुहब्बत ज़रा न लाना, पहिने बेरहमी का बाना॥12॥