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हम्मर नालंदा हे गौरवशाली / जयराम दरवेशपुरी

यहाँ के धूरी रेत-रेत में दिव्य ज्ञान के हइ लाली
देखऽ तू इतिहास उलट के नालन्दा गौरवशाली

मगध देश के पहिलइ से हल राजगृह रजधानी
यहाँ से शिक्षा-दीक्षा पाके दुनिया बनलइ ज्ञानी
चाणक चन्द्रगुप्त के महिमा के रजगज हरियाली

नालन्दा के उजड़ल खंडहर अभियो कहे कहानी
हलूं एक दिन बुलन्द इमारत अब सब ढहल निशानी
ज्ञान विज्ञान हमरे अँगना में करऽ हलइ रखवाली

वेनुवन में बुद्ध देव के बरस दर बरस के रहना
सात जनम के पाप मेटावे सतघरवा के झरना
धोवे मन के मैल ब्रह्मकुंड लगवऽ गोता हाली

अजात शत्रु अउ बिम्बिसार के ढहल पड़ल हे किला
दस हजार हाथी के बल हल जरासंध जोशीला
भाग गेला हल कृष्णा समेट के वृन्दावन से लीला
जीवक से सींचल बगिया में झूम रहल हर डाली

जैन धरम के पावन धरती पावापुरी के माटी
बीच पोखरिया महावीर के मंदिर अंतिम थाती
बौद्ध विहार बिहारशरीफ हल जहाँ बुद्ध के लाली

दैवी शक्ति मनी राम में अद्भुत अभी अखाड़ा
मखदुम बाबा के मजार हे चमके चाँद-सितारा
अखनउ हमर बिहार के शोभा नालन्दा के छाली

विश्व शांति के रज्जुमार्ग अउ वैतरणी वनगंगा
शीतल मंद सुगंध पवन से रोगी होवे चंगा
अमर मुनी के कीर्ति विरायतन रजगिर के खुशहाली