वह ठूँठ-सा पेड़
जो प्यास से सूख गया था
इस वक़्त
कैसा पी रहा है पानी
नदी में शीश डुबाकर
पर अब वह
पूरी नदी ही सोख ले तो भी
हरा न होगा
वह ठूँठ-सा पेड़
जो प्यास से सूख गया था
इस वक़्त
कैसा पी रहा है पानी
नदी में शीश डुबाकर
पर अब वह
पूरी नदी ही सोख ले तो भी
हरा न होगा