हरिको ऐसोइ सब खेल।
मृग-तृस्ना जग ब्याप रही हैं, कहूँ बिजोरो न बेल॥
धनमद जोबनमद और राजमद, ज्यों पंछिनमें डेल।
कह हरिदास यहै जिय जानौ, तीरथ को सो मेल॥
हरिको ऐसोइ सब खेल।
मृग-तृस्ना जग ब्याप रही हैं, कहूँ बिजोरो न बेल॥
धनमद जोबनमद और राजमद, ज्यों पंछिनमें डेल।
कह हरिदास यहै जिय जानौ, तीरथ को सो मेल॥