Last modified on 1 जून 2014, at 00:46

हरि को ऐसोइ सब खेल / हरिदास

हरिको ऐसोइ सब खेल।
मृग-तृस्ना जग ब्याप रही हैं, कहूँ बिजोरो न बेल॥

धनमद जोबनमद और राजमद, ज्यों पंछिनमें डेल।
कह हरिदास यहै जिय जानौ, तीरथ को सो मेल॥