पं हरिकेश पटवारी का जन्म 7अगस्त 1898 को गांव धनौरी, तहसील नरवाना, जिला जींद (हरियाणा) में हुआ, जो कि एक रेडियो सिंगर थे। धनौरी गांव दिल्ली-पटियाला राजमार्ग पर दाता सिंह वाला से 5 किलोमीटर की दुरी पर है। इनके पिता का नाम उमाशंकर व माता का नाम बसन्ती देवी था। उस समय धनौरी पटियाला रियासत में पड़ता था। पं हरिकेश ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव धनौरी में और माध्यमिक शिक्षा खन्ना पंजाब से प्राप्त की। इसके बाद कई दिनों तक वो खन्ना में रहे। फिर उन्होंने लोरी बस ली, जो आसपास के मार्गो पर चलती थी। इसके बाद बस को बेच कर आपने राजस्व विभाग में पटवारी के पद पर कार्य किया। पंडित जी हाजिर-जवाबी के लिए भी प्रसिद्ध थे, आपने कई भाषाओ में लेखन का कार्य भी किया।आजादी के बाद आपने हरियाणा के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक परिवेश को बहुत विश्वसनीय ढंग से अपनी रचनाये प्रस्तुत की। रचनाओं में व्यक्त सच्चाई और सहज कला के कारण रागनियां लोकप्रिय हुईं। आपने लेखन काल में कई रचनाये लिखी, जिसमे से निम्नलिखित चार पुस्तके देहाती बुक स्टोर नरवाना द्वारा प्रकाशित हुई-
1 वैराग्य रत्नमाला 2 आजादी की झलक 3 हरिकेश पुष्पांजलि 4 प्रश्नोतरी
अप्रकाशित रचनाये:- 1 सत्यवान-सावित्री किस्सा 2 जानी चोर 3 हरफूल जाट 4 ऊखा-अनिरुद्ध
पं हरिकेश पटवारी रेडियो सिंगर थे, सन् 1952 में भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं जवाहरलाल नेहरू के नरवाना आगमन के समय भी पं हरिकेश पटवारी ने अपनी रचनाये प्रस्तुत की । पं नेहरू ने उनकी बहुत प्रशंसा की और उन्हें बहुत सराहा गया। उसके बाद नेहरु जी ने पं हरिकेश पटवारी को दिल्ली आने का न्योता दिया। अतः18 फरवरी 1954 को पं हरिकेश पटवारी इस संसार से चल बसे।