हारे पहुँचे हुए वकील।
फेल हुई हर दलील।
व्यक्ति हुआ संवेदनहीन,
क्षेत्र हुए संवेदनशील।
द्वार न्याय के बन्द हुए,
किससे जाकर करें अपील।
पथभ्रष्टों ने लक्ष्य गँवाया,
भटके रोज़ हज़ारों मील।
मानवता का भाग्य किसी ने,
मानों आज कर दिया सील।