हित तौ कीजै कमलनैनसों,
जा हित आगे और हित लागो फीको।
कै हित कीजै साधुसँगतिसों,
जावै कलमष जी को॥१॥
हरिको हित ऐसो जैसो रंग-मजीठ,
संसारहित कसूंभि दिन दुतीको।
कहि हरिदासहित कीजै बिहारी सों
और न निबाहु जानि जी को॥२॥
हित तौ कीजै कमलनैनसों,
जा हित आगे और हित लागो फीको।
कै हित कीजै साधुसँगतिसों,
जावै कलमष जी को॥१॥
हरिको हित ऐसो जैसो रंग-मजीठ,
संसारहित कसूंभि दिन दुतीको।
कहि हरिदासहित कीजै बिहारी सों
और न निबाहु जानि जी को॥२॥