भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वृहत्त्रयी का आक्रमण / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:06, 19 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आ गए पवन और पानी
एक साथ बिजली को लिए
रात के राज में अंधे हड़कंप करने
हिलने-डोलने और भीगने लगे
जमीन और आसमान
वृहत्त्रयी के आक्रमण में।

रचनाकाल: २९-०३-१९७७