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या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता / ज़फ़र
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या मुझे अफसरे-शाहाना बनाया होता
या मुझे ताज-गदायाना बनाया होता
खाकसारी के लिए गरचे बनाया था मुझे
काश, खाके-दरे-जनाना बनाया होता
नशा-ए-इश्क का गर जर्फ दिया था मुझको
उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता
दिले-सदचाक बनाया तो बला से लेकिन
जुल्फे-मुश्कीं का तेरे शाना बनाया होता
था जलाना ही अगर दूरी-ए-साकी से मुझे
तो चरागे-दरे-मयखाना बनाया होता
क्यों खिरदमन्द बनाया, न बनाया होता
आपने खुद का ही दिवाना बनाया होता
रोज़ मामूर-ए-दुनिया में खराबी है ‘जफर’
ऐसी बस्ती को तो वीराना बनाया होता
शब्दार्थ
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