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हर अनहोनी बात बदल दें / कुमार अनिल

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हर अनहोनी बात बदल दें
चलो आज हालत बदल दें

सुबह नहीं होनी है जिसकी
आओ ऐसी रात बदल दें

झूठ लिखे जो सच के माथे
एसा कलम- दवात बदल दें

साथी को गुमराह करे जो
साथी, ऐसा साथ बदल दें

जो दिल में नफरत को घोले
आओ ऐसी बात बदल दें