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उसकी देह / केदारनाथ अग्रवाल
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बिना तार का
सितार है
उसकी देह,
न दिन में बजी
न रात में,
जब भी दिखी
दिन में कजरारी
रात में
सावनी अँधियारी दिखी
न सुबह हुई उसमें
न शाम