भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
न कोई है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:12, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("न कोई है / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
न कोई है
न होने की संभावना है
इस अंधकार के पड़ाव में
अलाव के जगाए
जग रहा हूँ मैं
रचनाकाल: २५-१०-१९६५