भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

द्वन्द्व के बगैर / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:47, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("द्वन्द्व के बगैर / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


है
और नहीं है समय
शून्य में
और नहीं है तात्पर्य
समय का
द्वन्द्व के बगैर
न सृष्टि है
न समय
न कुछ
तात्पर्य बस यही है

रचनाकाल: २८-१२-१९६७