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सुबह न हुई / केदारनाथ अग्रवाल

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सुबह न हुई
रात के बाद
शाम हुई
फिर रात हुई
आपके राज में
सुबह का इंतजार
हमें बुढ़ा गया
बुढ़ा गए हम।

रचनाकाल: ११-०३-१९६८