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असीम सौंदर्य की एक लहर / केदारनाथ अग्रवाल

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असीम सौंदर्य की एक लहर,
नदी से नहीं-
समुद्र से नहीं-
देखते-ही-देखते
उमड़ी तुम्हारे शरीर से,
छापकर छा गई
फैल गई मुझ पर।