भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धूप के बरजिया घोड़े पर सवार / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:43, 14 जनवरी 2011 का अवतरण ("धूप के बरजिया घोड़े पर सवार / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिन का जवान-
पुष्ट और पहलवान-
धूप के बरजिया घोड़े पर सवार
महानगर मदरास में बड़ी शान से आया
और आते ही उसने इसे अपना मातहत कर लिया
तेज और ताप से उसने
यहाँ के प्रत्येक आदमी को चमाचम कर दिया

रचनाकाल: ०७-०६-१९७६, मद्रास