दिन का जवान-
पुष्ट और पहलवान-
धूप के बरजिया घोड़े पर सवार
महानगर मदरास में बड़ी शान से आया
और आते ही उसने इसे अपना मातहत कर लिया
तेज और ताप से उसने
यहाँ के प्रत्येक आदमी को चमाचम कर दिया
रचनाकाल: ०७-०६-१९७६, मद्रास
दिन का जवान-
पुष्ट और पहलवान-
धूप के बरजिया घोड़े पर सवार
महानगर मदरास में बड़ी शान से आया
और आते ही उसने इसे अपना मातहत कर लिया
तेज और ताप से उसने
यहाँ के प्रत्येक आदमी को चमाचम कर दिया
रचनाकाल: ०७-०६-१९७६, मद्रास