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धूप के बरजिया घोड़े पर सवार / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
दिन का जवान-
पुष्ट और पहलवान-
धूप के बरजिया घोड़े पर सवार
महानगर मदरास में बड़ी शान से आया
और आते ही उसने इसे अपना मातहत कर लिया
तेज और ताप से उसने
यहाँ के प्रत्येक आदमी को चमाचम कर दिया
रचनाकाल: ०७-०६-१९७६, मद्रास