Last modified on 16 जनवरी 2011, at 12:21

मेरी कलम चोंच से लिखती / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:21, 16 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=खुली आँखें खुले डैने / …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरी कलम
चोंच से लिखती
चहचह करते शिल्पित शब्द।

पंक्तिबद्ध हो जो उड़ते हैं,
लीला लोल ललित करते हैं,
मुक्त गगन में
अर्थालोकित पंख पसार,
बनकर
जीवन की जयमाल!

रचनाकाल: २८-०३-१९९१