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मेरी कलम चोंच से लिखती / केदारनाथ अग्रवाल

मेरी कलम
चोंच से लिखती
चहचह करते शिल्पित शब्द।

पंक्तिबद्ध हो जो उड़ते हैं,
लीला लोल ललित करते हैं,
मुक्त गगन में
अर्थालोकित पंख पसार,
बनकर
जीवन की जयमाल!

रचनाकाल: २८-०३-१९९१