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कोई नहीं उदास हो / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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सोए मन में रह-रह करके
- अंकुर फूटे आस के ।
जंगल पर मदहोशी छाई
- दहके फूल पलाश के ।।
रंगों का त्यौहार मनाने
- धरती भाव- विभोर है ।
झोली भर-भर खुशबू लेकर
- फूल खिले चहुँ ओर हैं ॥
होली की लपटों में सारे
- भेद-भाव का नाश हो ।
सबके चेहरों पर गुलाल हो
- कोई नहीं उदास हो ॥