Last modified on 13 जून 2007, at 14:44

बहता जल / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:44, 13 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} हम तो बहता जल नदिया का<br> अ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम तो बहता जल नदिया का

अपनी यही कहानी बाबा।

ठोकर खाना उठना गिरना

अपनी कथा पुरानी बाबा।

कब भोर हुई कब साँझ हुई

आई कहाँ जवानी बाबा।

तीरथ हो या नदी घाट पर

हम तो केवल पानी बाबा।

जो भी पाया, वही लुटाया

ऐसे औघड, दानी बाबा।

अपने किस्से भूख­ प्यास के

कहीं न राजा रानी बाबा।

घाव पीठ पर, मन पर अनगिन

हमको मिली निशानी बाबा।