भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जिस तरह घुलती है काया / वाज़दा ख़ान
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:43, 23 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वाज़दा ख़ान }} {{KKPustak |चित्र=-- |नाम=जिस तरह घुलती है क…)
जिस तरह घुलती है काया
रचनाकार | वाज़दा ख़ान |
---|---|
प्रकाशक | भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली। |
वर्ष | 2009 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | छंदहीन |
पृष्ठ | 136 |
ISBN | 978-81-263-1694-6 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।