भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उम्र की चादर / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:04, 14 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} उम्र की चादर की<br> बुक...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उम्र की चादर की

बुक्कल मारकर

बैठी है लड़की

नीम उजाले में

इन्तज़ार का स्वेटर

बुनती जाती है

आँखें टिकी हैं

उम्र कुतरती सलाइयों पर

फिर भी फ़न्दे हैं कि


छूट- छूट जाते हैं

उम्र-

फूटे घडे़ के पानी की तरह

बूँद­ बूँद कर रिसती रहती है ।

लड़की

अधूरे स्वेटर की पीड़ा

उम्र के हर मोड़ पर

चुपचाप सहती है ।