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मेरे मन / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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मत उदास हो मेरे मन।

जिनको तुम काँटे समझे हो

वे तो प्यारे चन्दन वन ।

जितना पथ तुम चल पाए हो

वह भी क्या कम बतलाओ ।

जितना अब तक बन पाए हो

उस पर तो कुछ हरषाओ