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दिशाओं में कोई आवाज / आलोक श्रीवास्तव-२

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नदी में किसी की छाया है

आकाश में एक उड़ा आंचल

पेड़ों पर टंगा है कोई रंग

दिशाओं में कोई आवाज़

मैं तुम्हें
भूल क्यों नहीं पाता?