बैठे लाल फूलन के चौवारे ।
कुंतल, बकुल, मालती, चंपा, केतकी, नवल निवारे ॥
जाई, जुही, केबरौ, कूजौ, रायबेलि महँकारे ।
मंद समीर, कीर अति कूजत, मधुपन करत झकारे ॥
राधारमन रंग भरे क्रीड़त, नाँचत मोर अखारे ।
कुंभनदास गिरिधर की छवि पर, कोटिक मन्मथ वारे ॥
बैठे लाल फूलन के चौवारे ।
कुंतल, बकुल, मालती, चंपा, केतकी, नवल निवारे ॥
जाई, जुही, केबरौ, कूजौ, रायबेलि महँकारे ।
मंद समीर, कीर अति कूजत, मधुपन करत झकारे ॥
राधारमन रंग भरे क्रीड़त, नाँचत मोर अखारे ।
कुंभनदास गिरिधर की छवि पर, कोटिक मन्मथ वारे ॥