सूर्य है, दीठ न मिलाओ
नहीं
आँख भर आएगी ।
पुष्प यह, डाल मत बिलगाओ--
गंध झर जाएगी ।
उस की सुवास से प्राण अभिराम करो ।
चन्र वह, हाथ मत फैलाओ--
आस मर जाएगी ।
छिटकी जुन्हाई में छाया ललाम करो ।
सूर्य है, दीठ न मिलाओ
नहीं
आँख भर आएगी ।
पुष्प यह, डाल मत बिलगाओ--
गंध झर जाएगी ।
उस की सुवास से प्राण अभिराम करो ।
चन्र वह, हाथ मत फैलाओ--
आस मर जाएगी ।
छिटकी जुन्हाई में छाया ललाम करो ।