भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रास्ता काटना / एकांत श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:45, 26 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव }} भाई जब काम पर निकलते हैं<br> तब उनका र...)
भाई जब काम पर निकलते हैं
तब उनका रास्ता काटती हैं बहनें
बेटियाँ रास्ता काटती हैं
काम पर जाते पिताओं का
शुभ होता है स्त्रियों का यों रास्ता काटना
सूर्य जब पूरब से निकलता होगा
तो नीहारिकाएँ काटती होंगी उसका रास्ता
ऋतुएँ बार-बार काटती हैं
इस धरती का रास्ता
कि वह सदाबहार रहे
पानी गिरता है मूसलाधार
अगर घटाएँ काट लें सूखे प्रदेश का रास्ता
जिनका कोई नहीं है
इस दुनिया में
हवाएँ उनका रास्ता काटती हैं
शुभ हो उन सबकी यात्राएँ भी
जिनका रास्ता किसी ने नहीं काटा।