भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीतावली पद 101 से 110 तक/ पृष्ठ 10

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:00, 31 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


110
मुदित-मन आरती करैं माता |
कनक-बसन-मनि वारि-वारि करि पुलक प्रफुल्लित गाता ||

पालागनि दुलहियन सिखावति सरिस सासु सत-साता |
देहिं असीस ते बरिस कोटि लगि अचल होउ अहिबाता ||

राम सीय-छबि देखि जुबतिजन करहिं परसपर बाता |
अब जान्यो साँचहू सुनहु, सखि! कोबिद बड़ो बिधाता ||

मङ्गल-गान निसान नगर-नभ आनँद कह्यो न जाता |
चिरजीवहु अवधेस-सुवन सब तुलसिदास-सुखदाता ||