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गीतावली पद 101 से 110 तक / पृष्ठ 9
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	अयोध्या-आगमन
राग	कान्हरा
	भुजनिपर जननी वारि-फेरि डारी |
	क्यों तोर्यो कोमल कर-कमलनि सम्भु-सरासन भारी? ||
	क्यों मारीच सुबाहु महाबल प्रबल ताडका मारी ?
	मुनि-प्रसाद मेरे राम-लषनकी बिधि बड़ि करवर टारी ||
	चरनरेनु लै नयननि लावति, क्यों मुनिबधू उधारी |
	कहौधौं तात! क्यों जीति सकल नृप बरी है बिदेहकुमारी ||
	दुसह-रोष-मूरति भृगुपति अति नृपति-निकर खयकारी |
	क्यों सौम्प्यो सारङ्ग हारि हिय, करी है बहुत मनुहारी ||
	उमगि-उमगि आनन्द बिलोकति बधुन सहित सुत चारी |
	तुलसिदास आरती उतारति प्रेम-मगन महतारी ||
	
	