भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीतावली पद 101 से 110 तक/ पृष्ठ 10
Kavita Kosh से
110
मुदित-मन आरती करैं माता |
कनक-बसन-मनि वारि-वारि करि पुलक प्रफुल्लित गाता ||
पालागनि दुलहियन सिखावति सरिस सासु सत-साता |
देहिं असीस ते बरिस कोटि लगि अचल होउ अहिबाता ||
राम सीय-छबि देखि जुबतिजन करहिं परसपर बाता |
अब जान्यो साँचहू सुनहु, सखि! कोबिद बड़ो बिधाता ||
मङ्गल-गान निसान नगर-नभ आनँद कह्यो न जाता |
चिरजीवहु अवधेस-सुवन सब तुलसिदास-सुखदाता ||