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प्रीत-10 / विनोद स्वामी

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तेरी टूटेड़ी चप्पल रो
बटण घालती बरियां
मेरा हाथ,
सूमै रो करग्या काम।
तूं मुळक’र दिया प्रेम रा दाम।