हम उनको अपना बना लें, कभी वो खेल तो हो
सहज है आँखों का मिलना, दिलों का मेल तो हो
पलटता कौन है देखें लगा के मन का दाँव
हंसी-हंसी में कभी आँसुओं का खेल तो हो
चलेंगे साथ न मिलकर, ये जानते हैं मगर
नए-पुराने में थोड़ा-सा तालमेल तो हो
झकोरे तेज हवाओं के हैं सर-आँखों पर
गले गुलाब के नाजुक-सी एक बेल तो हो