( बरवै रामायण अरण्यकाण्ड)
( पद 28 से 33तक)
बेद नाम कहि अँगुरिन खंडि अकास।
पठयो सूपनखहि लखन के पास।28।
हेमलता सिय मूरति मृदु मुसकाइ।
हेम हरिन कहँ दीन्हेउ प्रभुहि दिखाइ।29।
जटा मुकुट कर सर धनु संग मरीच।
चितवनि बसति कनखियनु अँखियनु बीच।30।
(रामवाक्य)
कनक सलाक कला ससि दीप सिखाउ।
तारा सिय कहँ लछिमन मोहि बताउ।31।
सीय बरन सम केतकि अति हियँ हारि।
कहेसि भँवर कर हरवा हृदय बिदारि।32।
सीतलता ससि की रहि सब जग छाइ।
अगिनि ताप ह्वै हम कहँ सँसरत आइ।33।
इति बरवै रामायण अरण्यकाण्ड