भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बरवै रामायण / तुलसीदास/ पृष्ठ 8
Kavita Kosh से
( बरवै रामायण किष्किन्धाकाण्ड )
( पद 34 से 35तक)
स्याम गौर दोउ मूरति लछिमन राम।
इन तें भइ सित कीरति अति अभिराम।34।
कुजन पाल गुन बर्जित अकुल अनाथ।
कहहु कृपानिधि राउर कस गुन गाथ।35।
इति बरवै रामायण किष्किन्धाकाण्ड