भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उदयप्रकाश से / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
Lina niaj (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 23:52, 14 जुलाई 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल जनविजय |संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय }} पहल...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


पहले तुम

कविता लिखते थे

इतनी अच्छी


अब क्या हो गया तुम्हें

बतलाओ ज़रा

इधर-उधर फैली बातों को

झुठलाओ ज़रा


कहना सब बातें तुम लेकिन

सच्ची-सच्ची

और फिर से कविता लिखना तुम

वैसी ही अच्छी


(रचनाकाल : 1996)