भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चल चलें इक राह नूतन / नवीन सी. चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
Navincchaturvedi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:53, 29 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: चल चलें इक राह नूतन<br /> <br /> भय न किंचित हो जहाँ पर<br /> पल्लवित सुख हो नि…)
चल चलें इक राह नूतन
भय न किंचित हो जहाँ पर
पल्लवित सुख हो निरंतर
अब लगाएं हम वहीँ पर
बन्धु - निज आसन
द्वेष - ईर्ष्या को न प्रश्रय
दुर्गुणों की हो पराजय
हो जहाँ बस प्रेम की जय
खिल उठे तन मन