भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह मन इस लोक में / शमशेर बहादुर सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:28, 10 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह |संग्रह=सुकून की तलाश }} यह मन इस लोक ...)
यह मन इस लोक में कहाँ थमता था !
कल तक कवि आसमान में रमता था ।
ऎसा युग पलटा आज मैं पूछता हूँ--
क्या स्वर्ग ही लिए धूल की समता था ?
(रचनाकाल : 1945)